नई दिल्ली,8 अक्टूबर। मालदीव के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू का भारत दौरा क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय राजनीति के लिए खासा महत्वपूर्ण माना जा रहा है। मालदीव, हिंद महासागर के रणनीतिक क्षेत्र में स्थित एक प्रमुख द्वीप राष्ट्र है, जिसका भारत के साथ लंबे समय से गहरा रिश्ता रहा है। हालांकि, हाल के वर्षों में चीन के बढ़ते प्रभाव ने इस रिश्ते में एक नई चुनौती पैदा कर दी है।
मालदीव की भारत पर निर्भरता
मालदीव की अर्थव्यवस्था और विकास के कई महत्वपूर्ण पहलू भारत पर निर्भर करते हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचा, और तकनीकी सहयोग के क्षेत्रों में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। भारतीय कंपनियां और श्रमिक मालदीव के निर्माण और विकास परियोजनाओं में सक्रिय भूमिका निभाते हैं। इसके साथ ही, भारत ने आपातकालीन स्थितियों में मालदीव को तत्काल सहायता प्रदान की है, जैसे 1988 में भारतीय सेना ने ऑपरेशन कैक्टस के तहत मालदीव की सरकार को तख्तापलट से बचाया था।
मालदीव की सुरक्षा और स्थिरता भारत के लिए भी अहम है, क्योंकि यह हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की समुद्री रणनीति का एक प्रमुख हिस्सा है। भारत ने मालदीव की सैन्य और समुद्री सुरक्षा में सहयोग दिया है, जिससे दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग मजबूत हुआ है।
भारत के लिए मालदीव का महत्व
मालदीव हिंद महासागर में एक महत्वपूर्ण सामरिक स्थिति में स्थित है। यह क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय समुद्री व्यापार मार्गों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसके जरिए वैश्विक व्यापार का एक बड़ा हिस्सा गुजरता है। मालदीव में स्थिरता और उसके साथ भारत के मजबूत संबंध, हिंद महासागर क्षेत्र में भारत के रणनीतिक हितों की सुरक्षा के लिए आवश्यक हैं।
चीन का मालदीव में बढ़ता प्रभाव भारत के लिए चिंता का विषय है। हाल के वर्षों में, चीन ने “बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव” (BRI) के तहत मालदीव में कई बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निवेश किया है। इससे मालदीव के कर्ज में वृद्धि हुई है, और यह आशंका भी बनी रहती है कि चीन मालदीव में अपनी सैन्य और राजनीतिक पकड़ को मजबूत करने की कोशिश कर सकता है। ऐसे में, भारत के लिए जरूरी है कि वह मालदीव के साथ अपने संबंधों को और मजबूत करे ताकि इस क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित किया जा सके।
मुइज्जू की नीतियों का असर
राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के चुनाव के बाद से यह अटकलें लगाई जा रही हैं कि उनका झुकाव चीन की ओर अधिक हो सकता है, क्योंकि उनकी पार्टी को चीन समर्थक माना जाता है। हालांकि, मुइज्जू ने यह स्पष्ट किया है कि वे भारत के साथ संबंधों को भी प्रगाढ़ बनाए रखना चाहते हैं। उनके भारत दौरे से यही संदेश मिलता है कि वे संतुलित विदेश नीति अपनाने के पक्षधर हैं।
मुइज्जू का भारत दौरा दोनों देशों के बीच आर्थिक, राजनीतिक और सामरिक सहयोग को और मजबूत करने का अवसर प्रदान करता है। इसके साथ ही, यह भारत के लिए भी एक मौका है कि वह मालदीव के साथ अपने ऐतिहासिक संबंधों को पुनः स्थापित करे और इस क्षेत्र में अपनी प्रमुख स्थिति को बनाए रखे।
चीन की चुनौती
चीन ने मालदीव में बुनियादी ढांचा विकास के तहत कई प्रमुख परियोजनाओं को वित्त पोषित किया है, जिसमें माले में पुल निर्माण और हवाई अड्डा विस्तार जैसी परियोजनाएं शामिल हैं। यह आर्थिक सहयोग मालदीव की अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद है, लेकिन इसके साथ ही चीन का बढ़ता कर्ज मालदीव के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है। भारत के लिए यह जरूरी है कि वह मालदीव को विकल्प प्रदान करे ताकि चीन की कर्ज कूटनीति से मालदीव को बचाया जा सके।
निष्कर्ष
मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू का भारत दौरा दोनों देशों के बीच गहरे और सामरिक संबंधों को मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। चीन के बढ़ते प्रभाव के बीच, भारत और मालदीव के बीच सहयोग का विस्तार इस क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा के लिए जरूरी है। भारत और मालदीव दोनों को एक-दूसरे की जरूरत है, और इस दौरे से यह स्पष्ट होता है कि दोनों देश अपने सामरिक हितों को बनाए रखने के लिए मिलकर काम करने के इच्छुक हैं।