नई दिल्ली,7 अक्टूबर। पिछले साल इजरायल के हमले के बाद हमास के एक वरिष्ठ अधिकारी, गाजी अहमद, ने एक उग्र बयान देते हुए कहा था कि “इजरायल का नामोनिशान मिटने तक हम चैन से नहीं बैठेंगे।” यह बयान हमास के उस कट्टरपंथी रुख को दर्शाता है जो दशकों से इजरायल के खिलाफ संघर्ष और हिंसा को बढ़ावा दे रहा है। गाजी अहमद ने कहा कि इजरायल को खत्म करना हमास का अंतिम लक्ष्य है, और जब तक यह लक्ष्य हासिल नहीं होता, उनकी लड़ाई जारी रहेगी।
यह बयान तब आया था जब इजरायल ने गाजा पट्टी पर हमास के ठिकानों पर भारी हवाई हमले किए थे। इस हमले में कई हमास के ठिकाने और हथियारों के भंडार नष्ट कर दिए गए थे, जबकि गाजा में बड़ी संख्या में नागरिकों की जानें भी गई थीं। इस कार्रवाई के जवाब में गाजी अहमद ने कहा कि इजरायल के हमलों से वे डरने वाले नहीं हैं, बल्कि यह उनके लिए संघर्ष को और तेज करने का एक कारण बनेगा।
हमास का इजरायल के प्रति शत्रुता कोई नई बात नहीं है। यह संगठन 1987 में स्थापित हुआ था और इसका मुख्य उद्देश्य इजरायल के अस्तित्व को समाप्त करना और पूरे फिलिस्तीन को “मुक्त” कराना है। गाजी अहमद जैसे वरिष्ठ नेता इसी विचारधारा को बढ़ावा देते हुए इजरायल के खिलाफ लगातार आक्रामक बयानबाजी करते रहे हैं। उनका कहना है कि फिलिस्तीनी जमीन को “जायज” तरीके से वापस लेना हमास का हक है और इसके लिए वे किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं।
हालांकि, इस बयान के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय और कई देशों ने हमास की इस आक्रामकता की निंदा की। इजरायल के खिलाफ इस तरह की बयानबाजी से क्षेत्रीय तनाव और बढ़ जाता है, जिससे मध्य पूर्व में शांति स्थापित करने के प्रयासों को झटका लगता है। पश्चिमी देशों ने भी हमास को आतंकवादी संगठन करार देते हुए कहा कि इस तरह के बयान शांति वार्ताओं के मार्ग को अवरुद्ध करते हैं।
इजरायल ने इस बयान को खारिज करते हुए कहा कि वे अपने देश और नागरिकों की सुरक्षा के लिए किसी भी हमले का मजबूती से जवाब देंगे। इजरायल के नेताओं ने कहा कि गाजा में हमास के ठिकानों पर हमले आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई का हिस्सा हैं, और जब तक हमास इजरायल की सुरक्षा के लिए खतरा बना रहेगा, तब तक इस तरह की कार्रवाइयाँ जारी रहेंगी।
हमास की इस कठोर नीति और बयानबाजी से फिलिस्तीनी नागरिकों के हालात और भी खराब हो रहे हैं। गाजा में रह रहे लाखों लोग युद्ध और आर्थिक संकट के कारण भारी कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। बुनियादी सुविधाओं की कमी, बेरोजगारी और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी ने गाजा को एक संकटग्रस्त क्षेत्र बना दिया है। हमास के कट्टरपंथी रुख और इजरायल के कड़े सैन्य जवाबों के बीच वहां के आम नागरिक सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं।
गाजी अहमद के इस बयान से यह स्पष्ट हो जाता है कि हमास इजरायल के खिलाफ अपने संघर्ष को समाप्त करने के मूड में नहीं है। इस बीच, अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने चुनौती है कि कैसे इस संघर्ष को रोककर मध्य पूर्व में स्थिरता और शांति लाई जा सके।