नई दिल्ली,7 अक्टूबर।मालदीव के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू चार दिवसीय आधिकारिक दौरे पर भारत पहुंचे हैं। यह उनका राष्ट्रपति बनने के बाद पहला आधिकारिक भारत दौरा है, जो दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने के उद्देश्य से हो रहा है। भारत पहुंचने पर राष्ट्रपति मुइज्जू ने अपने देश के चीन के साथ संबंधों पर भी स्पष्ट रुख व्यक्त किया।
राष्ट्रपति मुइज्जू ने कहा कि मालदीव के चीन के साथ संबंध सदियों पुराने हैं और मालदीव की विदेश नीति के तहत उनका देश किसी भी एक देश पर निर्भर नहीं होगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मालदीव अपनी कूटनीति में संतुलन बनाए रखेगा, चाहे वह चीन हो या भारत। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत के साथ उनके देश के रिश्ते विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं, और यह दौरा भारत-मालदीव साझेदारी को और मजबूत करने के लिए है।
भारत और मालदीव के संबंध ऐतिहासिक रूप से घनिष्ठ रहे हैं। भारत ने मालदीव को आर्थिक, सैन्य और स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में लगातार समर्थन दिया है। मालदीव की सुरक्षा और विकास के लिए भारत की भूमिका काफी अहम मानी जाती है। दोनों देशों के बीच समुद्री सुरक्षा, व्यापार, पर्यटन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के क्षेत्रों में भी गहरे संबंध हैं।
मुइज्जू के इस दौरे के दौरान, उम्मीद की जा रही है कि दोनों देश कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करेंगे, जिसमें समुद्री सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता से संबंधित सहयोग प्रमुख होगा। इसके अलावा, मालदीव में बुनियादी ढांचे के विकास और आर्थिक साझेदारी को भी इस दौरे में प्राथमिकता दी जा सकती है।
राष्ट्रपति मुइज्जू के भारत दौरे को इस क्षेत्र में चीन और भारत के बढ़ते प्रभाव के संदर्भ में भी देखा जा रहा है। मालदीव, जो हिंद महासागर में रणनीतिक रूप से स्थित है, दोनों देशों के लिए भू-राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। इस पृष्ठभूमि में, राष्ट्रपति मुइज्जू का यह दौरा न केवल द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करेगा, बल्कि क्षेत्रीय कूटनीतिक संतुलन पर भी प्रभाव डाल सकता है।
यह देखना दिलचस्प होगा कि मुइज्जू का यह दौरा भारत-मालदीव संबंधों को किस दिशा में ले जाएगा और चीन के साथ उनके संबंधों के संदर्भ में क्या नई नीतियाँ उभरती हैं।