नई दिल्ली,3 अक्टूबर।-मध्य पूर्व, जिसे अक्सर विश्व के नक्शे पर शतरंज की बिसात के रूप में देखा जाता है, विश्व राजनीति और संघर्षों का एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है। यह क्षेत्र, 17 देशों को अपने भीतर समेटे हुए, उत्तर में ब्लैक सी से लेकर दक्षिण में अरब सागर और पश्चिम में भूमध्यसागर से लेकर पूर्व में ईरानी पहाड़ियों तक फैला है। करीब 72 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला यह इलाका एक लंबे समय से संघर्षों और युद्धों का गवाह रहा है। वर्तमान में भी यह क्षेत्र कई मोर्चों पर संघर्ष कर रहा है, और एक बड़े युद्ध की आहट यहां से सुनाई दे रही है।
मध्य पूर्व का इतिहास उतना ही जटिल और त्रासदीपूर्ण है जितना कि इसका वर्तमान। इस क्षेत्र की मौजूदा सीमाओं का निर्धारण एक सीक्रेट एग्रीमेंट के तहत किया गया था, जिसने इसकी भौगोलिक और राजनीतिक संरचना को गहरे रूप से प्रभावित किया। यहां की सीमाओं और राज्यों का गठन अक्सर बाहरी शक्तियों द्वारा हुआ, जिन्होंने अपने हितों के लिए इस इलाके को विभाजित किया। इससे क्षेत्रीय अस्थिरता और संघर्षों की नींव रखी गई, जो आज भी जारी है।
यहां के संघर्ष सिर्फ सीमाओं तक सीमित नहीं हैं। यह क्षेत्र धार्मिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक विविधताओं से भरा हुआ है, जो कई बार आपस में टकराते रहे हैं। सुन्नी और शिया मुसलमानों के बीच विवाद, इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष, और कुर्दों की स्वायत्तता की मांग जैसे मुद्दे यहां की स्थिरता के लिए बड़े खतरे बने हुए हैं।
मध्य पूर्व की भौगोलिक स्थिति इसे रणनीतिक रूप से अत्यधिक महत्वपूर्ण बनाती है। यहां का तेल भंडार विश्व अर्थव्यवस्था के लिए अनिवार्य है, और यही कारण है कि बाहरी ताकतें हमेशा से यहां हस्तक्षेप करती रही हैं। अमेरिका, रूस, चीन, और यूरोपीय देशों का इस क्षेत्र में लगातार दखल रहा है, जो स्थानीय संघर्षों को और भी जटिल बना देता है। ये बाहरी शक्तियां अपने आर्थिक और राजनीतिक हितों के लिए इस क्षेत्र में सक्रिय रहती हैं, जिससे यहां के संघर्षों को एक नया आयाम मिल जाता है।
वर्तमान में मध्य पूर्व के कई हिस्से युद्ध और हिंसा की चपेट में हैं। सीरिया, इराक, यमन, और लीबिया जैसे देशों में अस्थिरता, गृहयुद्ध और आतंकवाद का बोलबाला है। इस क्षेत्र के नेता और राजनीतिक गुट अपने-अपने हितों की पूर्ति के लिए एक-दूसरे से संघर्ष कर रहे हैं, जबकि आम जनता त्रासदी और विनाश का सामना कर रही है। इस उथल-पुथल भरे माहौल में, मध्य पूर्व के लिए एक स्थायी और शांतिपूर्ण समाधान की उम्मीदें धुंधली नजर आ रही हैं।
मध्य पूर्व का भविष्य अनिश्चित है, लेकिन इसके वर्तमान हालात को देखते हुए एक बड़े युद्ध की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। यहाँ के नेताओं और वैश्विक शक्तियों को अगर इस क्षेत्र में स्थिरता और शांति लानी है, तो उन्हें न केवल अपने-अपने हितों से ऊपर उठकर सोचना होगा, बल्कि यहां के लोगों के लिए न्याय और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करना होगा।