बाबा राम रहीम का घटता राजनीतिक प्रभाव, लेकिन बनी हुई है भाजपा से नजदीकी

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नई दिल्ली,2 अक्टूबर।हालांकि पिछले कई चुनावों में देखा गया है कि बाबा राम रहीम का राजनीतिक जादू अब पहले जैसा प्रभावी नहीं है, फिर भी उनकी लोकप्रियता और राजनीतिक पृष्ठभूमि में उनकी पूछ-परख बनी हुई है। इसके पीछे कई महत्वपूर्ण कारण हैं, जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

1. सामाजिक आधार और संगठनात्मक ताकत:

बाबा राम रहीम की अगुवाई वाली डेरा सच्चा सौदा एक मजबूत सामाजिक संगठन है, जो लाखों अनुयायियों के बीच गहरी पैठ रखता है। ये अनुयायी न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बाबा के साथ जुड़े हुए हैं, बल्कि कई सामाजिक और स्वास्थ्य कार्यक्रमों में भी सक्रिय रूप से भाग लेते हैं। बाबा की धार्मिक छवि और उनके समाजसेवा कार्यों के कारण यह अनुयायी वर्ग अभी भी उनके साथ जुड़ा हुआ है। चुनाव के दौरान इस अनुयायी वर्ग का समर्थन राजनीतिक दलों के लिए महत्वपूर्ण हो जाता है, खासकर हरियाणा और पंजाब जैसे राज्यों में।

2. भाजपा और बाबा के बीच नजदीकी संबंध:

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने हमेशा धार्मिक और सामाजिक संगठनों का समर्थन पाने की कोशिश की है, और बाबा राम रहीम भी इसका अपवाद नहीं हैं। भाजपा और बाबा के बीच संबंध चुनावी समीकरणों के चलते कई बार स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं। बाबा के अनुयायियों की संख्या बड़ी है, और भाजपा जानती है कि इन अनुयायियों का समर्थन उसे चुनावों में फायदा पहुंचा सकता है। खासकर हरियाणा में विधानसभा और लोकसभा चुनावों के दौरान बाबा राम रहीम के समर्थन को महत्वपूर्ण माना जाता है।

3. ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में प्रभाव:

हालांकि शहरी क्षेत्रों में बाबा राम रहीम का प्रभाव कम हुआ है, लेकिन ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में उनकी पकड़ अभी भी बनी हुई है। इन इलाकों में डेरा सच्चा सौदा के अनुयायी कई बार मतदान को धार्मिक कर्तव्य के रूप में देखते हैं। यही कारण है कि राजनीतिक दल, विशेष रूप से भाजपा, इन क्षेत्रों में बाबा के प्रभाव को भुनाने की कोशिश करती है।

4. जेल के बावजूद बढ़ती लोकप्रियता:

हालांकि बाबा राम रहीम कई गंभीर आरोपों के तहत जेल में हैं, फिर भी उनकी लोकप्रियता पूरी तरह से खत्म नहीं हुई है। इसका कारण यह है कि उनके अनुयायी उन्हें एक धार्मिक नेता के रूप में देखते हैं, और उनके खिलाफ लगे आरोपों को षड्यंत्र मानते हैं। इसके साथ ही, बाबा जेल से भी अपने अनुयायियों के लिए संदेश भेजते रहते हैं, जो उनकी छवि को बनाए रखने में मदद करता है।

5. मीडिया और डिजिटल उपस्थिति:

बाबा राम रहीम की डिजिटल उपस्थिति और सोशल मीडिया पर उनके समर्थकों की सक्रियता भी उनके प्रभाव को बनाए रखने का एक बड़ा कारण है। बाबा जेल में होने के बावजूद सोशल मीडिया पर उनके अनुयायियों द्वारा चलाए गए अभियानों के माध्यम से उनकी छवि लगातार सामने आती रहती है। इसके अलावा, वे धार्मिक और सामाजिक मुद्दों पर डिजिटल माध्यम से अपनी राय भी रखते हैं, जिससे उनके अनुयायी उनसे जुड़े रहते हैं।

निष्कर्ष:

भले ही बाबा राम रहीम का राजनीतिक प्रभाव पहले की तरह मजबूत न हो, लेकिन उनके सामाजिक और धार्मिक प्रभाव को नकारा नहीं जा सकता। भाजपा जैसे राजनीतिक दलों के लिए बाबा और उनके अनुयायियों का समर्थन अभी भी महत्वपूर्ण है, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों और डेरा सच्चा सौदा के प्रभाव वाले इलाकों में। यही कारण है कि बाबा राम रहीम की राजनीतिक और सामाजिक भूमिका, भले ही कमजोर पड़ गई हो, पूरी तरह से समाप्त नहीं हुई है।

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