बिहार ,30 सितम्बर। बिहार में बाढ़ का संकट एक बार फिर गहरा हो गया है, जब राज्य सरकार ने शनिवार को वाल्मीकिनगर और बीरपुर बैराज से बड़ी मात्रा में पानी छोड़ने का निर्णय लिया। इस फैसले के बाद राज्य के उत्तरी और मध्य हिस्सों में स्थित प्रमुख नदियों, जैसे कोसी, गंडक और गंगा, में पानी का स्तर तेजी से बढ़ने लगा है। इससे कई क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है और लाखों लोगों की जान-माल पर संकट खड़ा हो गया है।
नदियों में उफान: बाढ़ का बढ़ता खतरा
वाल्मीकिनगर और बीरपुर बैराज से छोड़ा गया पानी राज्य की प्रमुख नदियों में तेजी से फैल रहा है। कोसी, जिसे “बिहार का शोक” भी कहा जाता है, का जलस्तर खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है। गंडक और गंगा नदियों में भी पानी बढ़ने से आसपास के इलाकों में बाढ़ की संभावना बढ़ गई है। बिहार के उत्तरी और मध्य भाग, जो पहले से ही जलभराव और निचले इलाकों के कारण संवेदनशील हैं, इन उफनती नदियों से बुरी तरह प्रभावित हो सकते हैं।
बाढ़ प्रभावित क्षेत्र और सरकार की तैयारी
बाढ़ के खतरे को देखते हुए राज्य सरकार ने प्रभावित इलाकों में राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिए हैं। सरकार ने आपातकालीन सेवाओं को अलर्ट पर रखा है और संभावित बाढ़ प्रभावित जिलों में राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) की टीमें तैनात कर दी गई हैं। बेतिया, मोतिहारी, मधुबनी, दरभंगा, सहरसा, और सुपौल जैसे जिलों में विशेष सतर्कता बरती जा रही है, जहां बाढ़ का खतरा सबसे अधिक है।
बिहार सरकार ने बाढ़ राहत शिविर स्थापित किए हैं और बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए नावों और अन्य संसाधनों की व्यवस्था की जा रही है। साथ ही, बाढ़ पीड़ितों के लिए खाद्य सामग्री और चिकित्सा सेवाएं भी मुहैया कराई जा रही हैं।
किसानों और फसलों पर प्रभाव
बाढ़ का संकट केवल जनजीवन पर ही नहीं, बल्कि कृषि और फसलों पर भी भारी पड़ रहा है। कोसी और गंडक नदी के किनारे बसे किसानों की फसलें पानी में डूबने लगी हैं। धान, मक्का और गन्ने जैसी प्रमुख फसलें बाढ़ के कारण बर्बाद हो रही हैं, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। फसलें डूबने से राज्य की अर्थव्यवस्था पर भी गंभीर प्रभाव पड़ने की आशंका है।
गंगा के किनारे बसे शहरों का संकट
गंगा नदी का जलस्तर भी लगातार बढ़ रहा है, जिससे पटना, भागलपुर और बक्सर जैसे शहरों के निचले इलाकों में जलभराव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। पिछले वर्षों में भी गंगा के किनारे बसे शहरों ने बाढ़ का कहर झेला है, और इस बार भी हालात चिंताजनक बने हुए हैं। सरकारी अधिकारी लगातार स्थिति की निगरानी कर रहे हैं और तटबंधों को मजबूत करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
निष्कर्ष
बिहार में बाढ़ का खतरा एक गंभीर चुनौती के रूप में उभर रहा है। वाल्मीकिनगर और बीरपुर बैराज से पानी छोड़े जाने के बाद कोसी, गंडक और गंगा जैसी प्रमुख नदियों में जलस्तर में वृद्धि हो गई है, जिससे राज्य के उत्तरी और मध्य भागों में बाढ़ का संकट गहराने की आशंका है। राज्य सरकार ने राहत और बचाव कार्यों को तेज कर दिया है, लेकिन आने वाले दिनों में स्थिति और भी गंभीर हो सकती है। लोगों को सतर्क रहने और सरकारी निर्देशों का पालन करने की अपील की गई है ताकि बाढ़ के इस संकट से सुरक्षित निकला जा सके।