तुर्की की BRICS सदस्यता की महत्वाकांक्षा: रणनीति और संभावनाएं

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नई दिल्ली,27 सितम्बर। विशेषज्ञों का मानना है कि तुर्की की हालिया रणनीति BRICS (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) में शामिल होने की उसकी महत्वाकांक्षा से जुड़ी हो सकती है। तुर्की लंबे समय से BRICS में सदस्यता पाने की कोशिश कर रहा है, और इसकी विदेश नीति में हाल के बदलाव इसी दिशा में आगे बढ़ने के संकेत हो सकते हैं।

BRICS, जो वैश्विक स्तर पर एक प्रमुख आर्थिक और राजनीतिक समूह है, का उद्देश्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं को एक मंच पर लाना और पश्चिमी वर्चस्व वाले अंतरराष्ट्रीय संगठनों के विकल्प के रूप में खड़ा होना है। तुर्की, एक प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्था के रूप में, अपनी स्थिति को मजबूत करने और BRICS के सदस्य देशों के साथ आर्थिक और राजनीतिक संबंधों को और गहरा करने की कोशिश कर रहा है।

तुर्की की रणनीति और विदेश नीति
विश्लेषकों का मानना है कि तुर्की की हालिया कूटनीतिक और आर्थिक नीतियां BRICS सदस्यता की दिशा में उसकी योजनाओं का हिस्सा हो सकती हैं। तुर्की ने हाल के वर्षों में रूस, चीन और अन्य BRICS देशों के साथ अपने व्यापार और राजनीतिक संबंधों को मजबूत किया है। इन संबंधों के जरिए तुर्की अपने आर्थिक विकास और वैश्विक मंच पर अपनी उपस्थिति को और मजबूती देना चाहता है।

विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि तुर्की BRICS में शामिल होकर पश्चिमी आर्थिक प्रतिबंधों और वैश्विक वित्तीय संस्थाओं में अपनी कमजोर स्थिति को संतुलित करना चाहता है। इसके साथ ही, तुर्की के लिए BRICS एक ऐसा मंच बन सकता है जहां वह विकासशील देशों के बीच नेतृत्वकारी भूमिका निभाने की स्थिति में आ सकता है।

BRICS के लिए तुर्की की सदस्यता के संभावित लाभ
अगर तुर्की BRICS में शामिल होता है, तो यह संगठन के लिए भी कई लाभ ला सकता है। तुर्की की रणनीतिक स्थिति और उसकी मजबूत आर्थिक संभावनाएं BRICS देशों के लिए फायदेमंद साबित हो सकती हैं। तुर्की एक महत्वपूर्ण व्यापार मार्ग और भू-राजनीतिक केंद्र के रूप में उभर सकता है, जो BRICS देशों के वैश्विक व्यापार को और सुगम बना सकता है।

हालांकि, BRICS में तुर्की की सदस्यता के लिए अभी भी कुछ चुनौतियाँ हो सकती हैं। मौजूदा सदस्य देशों के बीच तुर्की के प्रति समर्थन की एकरूपता आवश्यक होगी, और तुर्की को अपनी आर्थिक और राजनीतिक स्थिरता को साबित करना होगा।

भविष्य की संभावनाएं
BRICS सदस्यता के लिए तुर्की की कोशिशें इस ओर इशारा करती हैं कि वह पश्चिम और पूर्व के बीच संतुलन साधते हुए खुद को एक वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित करना चाहता है। तुर्की की यह महत्वाकांक्षा न केवल उसके लिए, बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।

अब देखना यह होगा कि तुर्की अपनी कूटनीति और वैश्विक आर्थिक नीतियों के जरिए BRICS में अपनी जगह बनाने में कितना सफल होता है और यह संगठन के लिए किस हद तक फायदेमंद साबित हो सकता है।

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