फर्जी आईपीएस मिथिलेश कुमार: पुलिस की वर्दी छोड़ अब राजनीति में कूदने का सपना

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बिहार ,24 सितम्बर। बिहार का मिथिलेश कुमार, जिसने पुलिस की वर्दी पहनकर खुद को एक आईपीएस अधिकारी के रूप में पेश किया और लोगों को धोखा दिया, एक बार फिर सुर्खियों में है। अब इस युवक ने अपना नया सपना बताया है, और वह पुलिसवाला बनने का नहीं, बल्कि राजनीति में कदम रखने का है।

फर्जी आईपीएस बनने की कहानी
मिथिलेश कुमार को कुछ समय पहले बिहार में फर्जी आईपीएस अधिकारी के रूप में पकड़ा गया था। उसने पुलिस की वर्दी पहनकर शहर में घूमना शुरू किया और इस दौरान उसने कई लोगों को यह विश्वास दिलाया कि वह एक असली आईपीएस अधिकारी है। मिथिलेश ने अपनी इस नकली पहचान का इस्तेमाल कर लोगों को प्रभावित करने की कोशिश की। उसने पुलिस महकमे के कई लोगों के साथ भी संपर्क बनाया और जनता में रौब जमाया।

हालांकि, उसके झूठ का पर्दाफाश तब हुआ जब असली पुलिस ने उसके बारे में शक होने पर जांच शुरू की और अंततः उसे गिरफ्तार कर लिया। इस घटना के बाद से मिथिलेश का नाम पूरे राज्य में चर्चा का विषय बन गया।

राजनीति में नया सपना
गिरफ्तारी के बाद, मिथिलेश कुमार ने जेल में अपने भविष्य को लेकर नया ऐलान किया है। उसने कहा है कि अब उसका सपना पुलिसवाला बनने का नहीं है, बल्कि वह राजनीति में कदम रखना चाहता है। मिथिलेश का मानना है कि राजनीति में आकर वह समाज में बदलाव ला सकता है और लोगों की सेवा कर सकता है।

उसने कहा, “पुलिस की वर्दी तो एक भ्रम था, लेकिन अब मैं जनता की असली सेवा करना चाहता हूं। राजनीति में आने का मेरा मकसद समाज की समस्याओं को हल करना है।”

क्या राजनीति में मिलेगा मौका?
मिथिलेश कुमार की यह घोषणा सवालों के घेरे में है। क्या एक ऐसा व्यक्ति, जिसने जनता को धोखा दिया और पुलिस की वर्दी का गलत इस्तेमाल किया, राजनीति में अपनी जगह बना पाएगा? बिहार की राजनीति में पहले से ही कई ऐसे चेहरे हैं जो विवादों से घिरे रहे हैं, लेकिन मिथिलेश के लिए यह रास्ता आसान नहीं होगा।

राजनीति में आने के लिए न केवल समाज का समर्थन जरूरी होता है, बल्कि ईमानदारी और विश्वास भी अहम होता है। मिथिलेश को अब अपने नए सपने को साकार करने के लिए जनता का विश्वास जीतना होगा और यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या वह अपने इस नए लक्ष्य को हासिल कर पाता है या नहीं।

निष्कर्ष
मिथिलेश कुमार की कहानी बिहार की राजनीति और समाज की जटिलताओं को दर्शाती है। एक फर्जी आईपीएस से लेकर एक संभावित राजनेता बनने का उसका यह सफर किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। अब यह देखना बाकी है कि उसका यह नया सपना कितना सच्चा साबित होगा और क्या जनता उसे इस नई भूमिका में स्वीकार करेगी।

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