नई दिल्ली,भारत ने 45वें चेस ओलिंपियाड में ऐतिहासिक प्रदर्शन करते हुए ओपन और विमेंस कैटेगरी में गोल्ड मेडल जीत लिए। देश को इंडिविजुअल कैटेगरी में भी 4 गोल्ड मिले, मेंस और विमेंस दोनों कैटेगरी में 2-2 प्लेयर्स ने पहला स्थान हासिल किया।
दोनों कैटेगरी में 5-5 प्लेयर्स ने भारत का प्रतिनिधित्व किया। 11 राउंड के बाद ओपन टीम ने 22 में से 21 पॉइंट्स हासिल किए। वहीं विमेंस टीम ने 19 पॉइंट्स के साथ गोल्ड पर कब्जा किया।
विमेंस टीम ने डिफेंडिंग चैंपियन चीन को हराया
विमेंस टीम में तानिया सचदेव, वैशाली रेमशबाबू, हरिका द्रोणावल्ली, वंतिका अग्रवाल और दिव्या देशमुख ने गोल्ड दिलाया। टीम ने 11 राउंड में से 9 जीते और एक ही ड्रॉ खेला। टीम को इकलौती हार पोलैंड के खिलाफ मिली। हालांकि, भारत ने 19 पॉइंट्स के साथ पहला स्थान हासिल किया। टीम ने 10वें राउंड में डिफेंडिंग चैंपियन चीन भी हराया।
1. तानिया सचदेव – स्पोर्ट्स कॉमेंटेटर तानिया सचदेव 2008 में ही ग्रैंडमास्टर बन गई थीं। हालांकि, तब विमेंस चेस में भारत कुछ खास नहीं कर रहा था। जिस कारण उन्हें अब जाकर टीम इवेंट में करियर का पहला इंटरनेशनल गोल्ड नसीब हुआ।
2. हरिका द्रोणावल्ली – हरिका द्रोणावल्ली ने 2011 में ग्रैंडमास्टर का टाइटल हासिल कर लिया था। 2010 के एशियन गेम्स में उन्होंने इंडिविजुअल इवेंट का सिल्वर जीतने के बाद 2015 की वर्ल्ड चेस चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज भी जीता।
3. वैशाली रमेशबाबू – 2024 में ही ग्रैंडमास्टर बनने वालीं वैशाली रमेशबाबू ने 2022 में विमेंस टीम के साथ एशियन गेम्स का सिल्वर मेडल जीता था। उन्होंने अब चेस ओलिंपियाड के 10 मैच खेले और 4 में जीत हासिल की।
4. वंतिका अग्रवाल – बोर्ड-4 पर खेलते हुए वंतिका अग्रवाल ने विमेंस इंडिविजुल का भी गोल्ड मेडल जीता। उन्होंने 11 राउंड में 9 मैच खेले और महज एक में हार का सामना करना पड़ा। उन्हें 5 में जीत मिली, जबकि 3 मैच उन्होंने ड्रॉ खेले।
5. दिव्या देशमुख – विमेंस टीम में भारत की सबसे मजबूत प्लेयर 18 साल की दिव्या देशमुख रहीं। वह देश की नंबर-1 विमेंस चेस प्लेयर भी हैं। उन्होंने ओलिंपियाड में सभी 11 मैच खेले, 8 जीते और महज 3 ड्रॉ खेले।