बुलडोजर एक्शन पर 1 अक्टूबर तक सुप्रीम कोर्ट की रोक

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नई दिल्ली,16 सितम्बर। सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को कई राज्यों में आरोपियों की संपत्ति पर बुलडोजर एक्शन के खिलाफ सुनवाई की। याचिकाकर्ता जमीयत उलेमा-ए-हिंद का आरोप है कि BJP शासित राज्यों में मुसलमानों को निशाना बनाकर बुलडोजर एक्शन लिया जा रहा है।

जस्टिस विश्वनाथन और जस्टिस की बीआर गवई की बेंच ने कहा कि 1 अक्टूबर तक अदालत की परमिशन के बिना किसी तरह का बुलडोजर एक्शन पर रोक लगाई जाए।

2 सितंबर की सुनवाई में कोर्ट ने पूछा था कि सिर्फ आरोपी होने पर किसी का घर कैसे गिराया जा सकता है। कोर्ट ने कहा था कि गाइडलाइन बनाई जाए, जो पूरे देश में लागू हो। इसके लिए कोर्ट ने सभी पक्षों से सुझाव भी मांगे थे।

कोर्ट रूम लाइव…

सीनियर एडवोकेट सीयू सिंह: हर दिन तोड़फोड़ हो रही है।

एसजी तुषार मेहता: 2022 में नोटिस दिए गए और उसके बाद कार्रवाई की गई। इस बीच अपराध किए।

जस्टिस गवई: राज्य सरकार को खबर दी जानी चाहिए। 2024 में इतनी जल्दबाजी क्यों हो रही है, जब नोटिस 2022 में जारी किए गए थे तो।

जस्टिस विश्वनाथन: मैं साफ कर दूं कि अगली तारीख तक, अदालत की अनुमति के बिना डिमोलिशन पर रोक होनी चाहिए।

एसजी मेहता: एक नैरेटिव बनाया जा रहा है।

जस्टिस विश्वनाथन: हमें कोई प्रभावित नहीं कर रहा है। हम इस समय इस सवाल पर नहीं जाएंगे कि किस समुदाय ने यह पूछा है। अगर अवैध ढंग से घर गिराने का एक भी मामला है, तो यह संविधान के मूल्यों के खिलाफ है।

जस्टिस गवई: हम पर कोई नैरेटिव असर नहीं डाल रहा। हमने साफ कर दिया है कि हम अतिक्रमण के बीच में नहीं आएंगे, लेकिन कार्यपालिका खुद जज नहीं हो सकती।

एसजी मेहता: याचिकाकर्ताओं का दावा है कि डिमोलिशन एक धर्म विशेष के लोगों के घरों को लेकर हो रहा है।

जस्टिस विश्वनाथन: इस कार्रवाई का इकलौता मकसद बुलडोजर एक्शन की कार्रवाई को व्यवस्थित करना है।

एसजी मेहता: जिनके घर टूटे वे कोर्ट इसलिए नहीं पहुंचते, क्योंकि वे जानते हैं उनकी संपत्ति अवैध है।

सीयू सिंह: कोर्ट ने पिछली तारीख पर आदेश दिया। निर्देश के बावजूद12, 14 तारीख को, उसी दिन पत्थरबाजी की घटना हुई। उसी रात तोड़फोड़ की गई। ऐसा रोज हो रहा है। एक ही इलाके में, ऐसा नहीं हो सकता कि सिर्फ एक घर ही अवैध हो। जस्टिस गवई: आप आवेदन दाखिल करें।

एसजी मेहता: मध्य प्रदेश में, मामला यहां चल रहा है। नियमों का पालन करने के बाद 70 दुकानें तोड़ दी गईं। 50 से ज्यादा दुकानें हिंदुओं की थीं।

जस्टिस गवई: मामले को 1 अक्टूबर को दोबारा लिस्ट करें। अगली तारीख पर, जब तक वैधानिक आदेश नहीं आ जाते, तब तक कोई तोड़फोड़ नहीं की जाएगी।

जस्टिस गवई: अपने हाथ रोकिए। इस कोर्ट की परमिशन के बिना कोई तोड़फोड़ नहीं की जाएगी। हालांकि, यह आदेश सार्वजनिक सड़क, फुटपाथ, रेलवे लाइन, जल निकायों पर हुए अतिक्रमण पर लागू नहीं होगा।

जस्टिस विश्वनाथन: इस पर निगरानी होनी चाहिए।

जस्टिस गवई: आदेश के बाद, ऐसे बयान आए हैं कि बुलडोजर एक्शन जारी रहेगा… यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि सुनवाई किसके हाथ में है।

जस्टिस विश्वनाथन: 2 सितंबर के बाद बुलडोजर एक्शन पर बहुत जोर दिया गया। इसे सही ठहराया गया। क्या हमारे देश में ऐसा होना चाहिए? क्या चुनाव आयोग को नोटिस दिया जाना चाहिए? हम गाइडलाइन बनाएंगे।

एसजी मेहता: तेलंगाना में कुछ नोटिस भेजे गए हैं।

जस्टिस गवई: अगले हफ्ते तक ऐसी कार्रवाई पर रोक लगनी चाहिए।

एसजी मेहता: लेकिन यह पूरे देश में नहीं रुक सकता।

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