नई दिल्ली,16 सितम्बर। हरियाणा में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए राजनीतिक गतिविधियाँ तेज़ हो गई हैं। नामांकन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और अब उम्मीदवारों के पास आज आखिरी दिन है, जब वे अपने नामांकन वापस ले सकते हैं। जैसे-जैसे चुनाव की तारीख करीब आ रही है, चुनावी सरगर्मियाँ भी बढ़ती जा रही हैं। पार्टियों के भीतर उम्मीदवारों को लेकर असमंजस और गठबंधन की चर्चाएँ जोर पकड़ रही हैं।
प्रमुख पार्टियों की स्थिति
हरियाणा की राजनीति में मुख्य रूप से भारतीय जनता पार्टी (BJP), कांग्रेस, और जननायक जनता पार्टी (JJP) प्रमुख भूमिका निभा रही हैं। इन तीनों दलों के बीच कड़ी टक्कर होने की संभावना है। बीजेपी, जो वर्तमान में सत्ता में है, दोबारा से सरकार बनाने की कोशिश में लगी है, जबकि कांग्रेस और JJP इसे कड़ी चुनौती दे रहे हैं।
बीजेपी की रणनीति
भाजपा ने हरियाणा में मजबूत चुनाव प्रचार अभियान चलाया है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व में भाजपा राज्य में अपनी उपलब्धियों को जनता के सामने पेश कर रही है, खासकर पिछले कुछ वर्षों में हुए विकास कार्यों को। बीजेपी की ओर से मजबूत उम्मीदवारों को मैदान में उतारा गया है, लेकिन नामांकन के बाद आंतरिक असंतोष की खबरें भी आ रही हैं, जो चुनावी रणनीति को प्रभावित कर सकती हैं।
कांग्रेस की तैयारी
कांग्रेस ने भी इस बार पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतरने की योजना बनाई है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में कांग्रेस ने भाजपा को सत्ता से हटाने के लिए जोरदार प्रचार किया है। कांग्रेस ने इस बार युवा और अनुभवी नेताओं का संतुलन बनाते हुए अपने उम्मीदवार तय किए हैं। हालांकि, पार्टी के अंदरुनी गुटबाजी और उम्मीदवारों को लेकर मतभेद भी सामने आए हैं, जिससे कांग्रेस को चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।
JJP और अन्य दलों की स्थिति
जननायक जनता पार्टी (JJP), जो पिछली बार के चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, इस बार भी सत्ता में हिस्सेदारी की उम्मीद कर रही है। पार्टी ने अपने आधार क्षेत्रों में मजबूत उम्मीदवार उतारे हैं और किसानों तथा युवाओं के मुद्दों को लेकर सक्रिय है। इसके अलावा, इंडियन नेशनल लोक दल (INLD) और कुछ क्षेत्रीय दल भी अपनी स्थिति को मजबूत करने की कोशिश में लगे हुए हैं।
चुनावी समीकरण और गठबंधन की चर्चाएँ
चुनावी मैदान में उम्मीदवारों के नामांकन के बाद गठबंधन और सीट-बंटवारे को लेकर चर्चाएँ तेज हो गई हैं। कई सीटों पर तीन-तरफा मुकाबला होने की उम्मीद है, जहां बीजेपी, कांग्रेस और JJP के बीच कड़ी टक्कर हो सकती है। इन तीनों दलों के अलावा, कुछ निर्दलीय उम्मीदवार भी चुनावी समीकरण को प्रभावित कर सकते हैं।
संभावित चुनौतियाँ
हरियाणा में चुनावी माहौल में जातिगत समीकरण, कृषि संकट, बेरोजगारी और विकास जैसे मुद्दे प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों का मुद्दा एक अहम चुनावी विषय बन सकता है, जबकि शहरी क्षेत्रों में विकास और रोजगार प्राथमिक चुनावी एजेंडा हो सकता है।
निष्कर्ष
हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया समाप्त हो चुकी है, और आज नाम वापसी का आखिरी दिन है। इसके बाद चुनावी तस्वीर साफ हो जाएगी कि किन-किन उम्मीदवारों के बीच मुकाबला होगा। राज्य की राजनीति में आने वाले कुछ दिन बेहद महत्वपूर्ण होंगे, क्योंकि चुनावी प्रचार अपने चरम पर पहुँच रहा है और जनता के बीच समर्थन पाने के लिए सभी दल पूरी ताकत झोंक रहे हैं।