पन्नू ने राहुल गांधी के सिखों पर दिए बयान की सराहना की: 1947 के बाद के अत्याचारों को उजागर करने वाला साहसिक कदम

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नई दिल्ली,11 सितम्बर। खालिस्तान समर्थक संगठन “सिख्स फॉर जस्टिस” के नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू ने हाल ही में कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा सिखों की स्थिति पर दिए गए बयान की सराहना की। पन्नू का कहना है कि राहुल गांधी का बयान न केवल साहसिक है, बल्कि 1947 के बाद से भारत में सिखों के खिलाफ हो रहे अत्याचारों को उजागर करने वाला कदम भी है।

राहुल गांधी का बयान
राहुल गांधी ने एक इंटरव्यू या भाषण में भारत में सिख समुदाय की स्थिति को लेकर चिंता जताई थी। उन्होंने कहा था कि सिख समुदाय को 1947 से लेकर अब तक कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, जिसमें विशेष रूप से 1984 के सिख विरोधी दंगे भी शामिल हैं। राहुल गांधी ने यह भी कहा कि सिख समुदाय को लेकर सरकारों की नीतियाँ कई बार संवेदनशीलता और न्यायपूर्ण दृष्टिकोण से रहित रही हैं।

पन्नू की प्रतिक्रिया
पन्नू ने राहुल गांधी के इस बयान को “साहसिक” बताते हुए कहा कि भारतीय राजनीतिक परिदृश्य में किसी प्रमुख नेता का सिखों की स्थिति पर खुलकर बात करना दुर्लभ है। उन्होंने कहा कि यह बयान उन सिखों के दर्द और पीड़ा को उजागर करता है, जो 1947 से लेकर 1984 और उसके बाद के घटनाक्रमों में हुए हैं।

पन्नू ने यह भी कहा कि राहुल गांधी ने जो मुद्दा उठाया है, वह केवल सिखों के लिए नहीं, बल्कि पूरे भारतीय समाज के लिए विचार करने योग्य है। उनका मानना है कि सिखों के खिलाफ हो रहे कथित अत्याचारों और भेदभाव पर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भी ध्यान देने की जरूरत है।

1947 से सिखों पर अत्याचार का संदर्भ
पन्नू का बयान 1947 में भारत के विभाजन के बाद से सिख समुदाय को लेकर हुए घटनाक्रमों की ओर इशारा करता है। 1984 के सिख विरोधी दंगे, जिन्हें इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भड़काया गया था, सिखों के खिलाफ सबसे प्रमुख और दर्दनाक घटनाओं में से एक हैं। पन्नू और खालिस्तान समर्थक समूह लंबे समय से यह आरोप लगाते आए हैं कि भारत में सिखों के खिलाफ भेदभाव और हिंसा का इतिहास रहा है, और सरकारों ने इसे अनदेखा किया है।

राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव
राहुल गांधी के बयान पर पन्नू की प्रतिक्रिया को लेकर भारतीय राजनीति में भिन्न-भिन्न प्रतिक्रियाएँ देखने को मिल सकती हैं। जहां एक ओर सिख समुदाय के कुछ वर्ग राहुल गांधी के इस साहसिक बयान का स्वागत कर सकते हैं, वहीं दूसरी ओर इसे राजनीतिक दृष्टिकोण से भी देखा जा सकता है। खालिस्तान समर्थक संगठनों द्वारा राहुल गांधी के बयान की सराहना करना एक नाजुक मुद्दा हो सकता है, जिसे लेकर बीजेपी और अन्य दल कांग्रेस पर सवाल उठा सकते हैं।

निष्कर्ष
गुरपतवंत सिंह पन्नू ने राहुल गांधी के सिखों पर दिए गए बयान को साहसिक करार देते हुए इसे 1947 के बाद से सिखों पर हो रहे अत्याचारों को उजागर करने वाला माना है। यह बयान भारतीय राजनीति में एक नई बहस छेड़ सकता है, क्योंकि सिख समुदाय और उनके खिलाफ हो रही कथित नीतिगत भेदभाव का मुद्दा संवेदनशील और महत्वपूर्ण बना हुआ है।

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