नई दिल्ली,11 सितम्बर। हाल ही में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की अमेरिका यात्रा के दौरान भारत विरोधी माने जाने वाली अमेरिकी सांसद इल्हान उमर से मुलाकात को लेकर राजनीति गर्मा गई है। इस मुलाकात पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की राष्ट्रीय प्रवक्ता संजू वर्मा ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। वर्मा ने कहा है कि राहुल गांधी सत्ता में आने के लिए किसी भी स्तर तक जा सकते हैं, यहां तक कि भारत के हितों के खिलाफ खड़े लोगों से भी मेलजोल बढ़ाने से नहीं चूक रहे हैं।
संजू वर्मा का आरोप
संजू वर्मा ने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा, “राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी की मानसिकता हमेशा से ही भारत-विरोधी रही है। जब आप भारत की प्रतिष्ठा और देशभक्ति की बात करते हैं, तब राहुल गांधी ऐसे लोगों से मिलते हैं जो खुलेआम भारत के खिलाफ बोलते हैं। इल्हान उमर जैसे लोग जो कश्मीर मुद्दे पर भारत का विरोध करते हैं और पाकिस्तान का समर्थन करते हैं, उनसे राहुल गांधी की मुलाकात दिखाती है कि कांग्रेस सत्ता में आने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है।”
इल्हान उमर कौन हैं?
इल्हान उमर अमेरिकी कांग्रेस की सदस्य हैं और वे डेमोक्रेटिक पार्टी से संबंधित हैं। वे कई बार भारत के कश्मीर मुद्दे पर आलोचनात्मक टिप्पणी कर चुकी हैं और मोदी सरकार के खिलाफ बयान देती रही हैं। उमर का पाकिस्तान के प्रति झुकाव और कश्मीर को लेकर उनकी बयानबाजी भारत में विवाद का विषय रही है।
कांग्रेस का पक्ष
हालांकि, कांग्रेस पार्टी ने इस मुलाकात पर अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि यह मुलाकात सिर्फ एक कूटनीतिक आदान-प्रदान का हिस्सा थी, जिसे राजनीतिक रंग देना उचित नहीं है। कांग्रेस का तर्क है कि इस तरह की अंतर्राष्ट्रीय मुलाकातें राजनयिक संबंधों को मजबूत करने के लिए की जाती हैं, न कि किसी विशेष एजेंडे को बढ़ावा देने के लिए।
राजनीतिक परिणाम
बीजेपी ने इस मुद्दे को उठाकर राहुल गांधी की अंतर्राष्ट्रीय रणनीति पर सवाल खड़े किए हैं। बीजेपी का दावा है कि कांग्रेस और उसके नेता भारत के हितों को दरकिनार कर अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने में लगे हुए हैं। यह विवाद आने वाले दिनों में और बढ़ सकता है, खासकर जब भारत में आगामी चुनाव करीब हैं।
निष्कर्ष
राहुल गांधी और इल्हान उमर की मुलाकात ने भारतीय राजनीति में एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। बीजेपी जहां इस मुलाकात को कांग्रेस के भारत-विरोधी एजेंडे का हिस्सा बता रही है, वहीं कांग्रेस इसे सामान्य कूटनीतिक मुलाकात के रूप में देख रही है। इस मुद्दे का असर भारतीय राजनीति पर कितना पड़ेगा, यह देखना बाकी है, लेकिन फिलहाल यह विवाद खत्म होने के आसार नहीं दिखते।