नई दिल्ली,10 सितम्बर। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने हाल ही में जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी, वॉशिंगटन डी.सी. में छात्रों से बातचीत के दौरान आरक्षण पर अपना दृष्टिकोण साझा किया। इस संवाद के दौरान उन्होंने भारतीय समाज में आर्थिक असमानताओं और आदिवासी, दलित एवं पिछड़े वर्गों की स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की।
राहुल गांधी ने कहा कि जब हम वित्तीय आंकड़ों पर नजर डालते हैं, तो साफ तौर पर यह दिखाई देता है कि आदिवासी, दलित और पिछड़े वर्गों के पास देश के संपत्ति और संसाधनों का बेहद छोटा हिस्सा है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ये वर्ग आर्थिक रूप से बेहद कमजोर हैं और उनकी हिस्सेदारी न के बराबर है।
आरक्षण की जरूरत पर बल
राहुल गांधी ने आरक्षण के मुद्दे पर कहा कि यह केवल सामाजिक न्याय का सवाल नहीं है, बल्कि यह आर्थिक विषमता को दूर करने का भी एक माध्यम है। उन्होंने कहा कि समाज के उन वर्गों को ऊपर उठाने की जरूरत है, जो ऐतिहासिक रूप से वंचित रहे हैं। इसके लिए आरक्षण एक आवश्यक कदम है, ताकि उन्हें बराबरी का अवसर मिल सके।
आर्थिक सुधारों की ओर इशारा
राहुल गांधी ने आगे कहा कि सिर्फ आरक्षण ही पर्याप्त नहीं है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि समाज के वंचित वर्गों के लिए अन्य आर्थिक सुधारों की भी आवश्यकता है। उन्होंने रोजगार सृजन, शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाओं और बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की वकालत की, ताकि समाज के सभी वर्गों को विकास का लाभ मिल सके।
आर्थिक असमानता का विश्लेषण
अपने वक्तव्य में उन्होंने भारत की आर्थिक असमानता पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि आजादी के 75 साल बाद भी कुछ खास वर्ग ही देश की अर्थव्यवस्था पर हावी हैं, जबकि बड़े पैमाने पर आबादी के पास बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। राहुल गांधी ने इसे गंभीर चिंता का विषय बताया और इसे देश के विकास के रास्ते में सबसे बड़ी बाधा करार दिया।
निष्कर्ष
राहुल गांधी के इस वक्तव्य ने एक बार फिर आरक्षण की अहमियत और आर्थिक सुधारों की जरूरत को उजागर किया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि समाज के कमजोर वर्गों को ऊपर उठाने के लिए आरक्षण के साथ-साथ व्यापक आर्थिक सुधार भी आवश्यक हैं। उनके विचार इस बात पर केंद्रित थे कि एक समतावादी समाज का निर्माण तभी संभव होगा, जब हर नागरिक को समान अवसर और संसाधनों तक पहुंच मिलेगी।