नई दिल्ली,7 सितम्बर। मनसुखभाई कोठारी, जो पान मसाला उद्योग में अपनी पहचान बनाने के लिए मशहूर थे, ने पान पराग के साथ अपने कारोबारी सफर की शुरुआत की। उनकी दूरदर्शिता और व्यापारिक कुशलता ने उन्हें जल्द ही एक सफल उद्योगपति बना दिया। लेकिन सिर्फ पान पराग तक ही उनकी महत्वाकांक्षाएं सीमित नहीं थीं। उन्होंने लेखन सामग्री (स्टेशनरी) के क्षेत्र में भी कदम रखा और रोटोमैक पेन की कंपनी की नींव रखी। रोटोमैक, समय के साथ एक प्रतिष्ठित ब्रांड बन गया, जिसने देशभर में अपनी पहचान बनाई।
रोटोमैक की स्थापना
मनसुखभाई कोठारी ने रोटोमैक की शुरुआत की थी, और इसका उद्देश्य था भारतीय बाजार में उच्च गुणवत्ता वाले पेन उपलब्ध कराना। पान पराग के बाद रोटोमैक को शुरू करने का विचार एक नए उद्योग में प्रवेश करने और उसे सफल बनाने की सोच का नतीजा था। इस कंपनी ने शुरुआत में केवल पेन का निर्माण किया, लेकिन जल्द ही यह एक प्रमुख स्टेशनरी ब्रांड के रूप में उभरकर सामने आई।
बंटवारे के बाद कंपनी का नियंत्रण
बंटवारे के बाद रोटोमैक कंपनी मनसुखभाई के बड़े बेटे विक्रम कोठारी को मिली। विक्रम कोठारी ने इस कंपनी को और भी ऊंचाइयों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी उठाई। उन्होंने कंपनी के विस्तार के लिए कई नए कदम उठाए और कंपनी को एक वैश्विक पहचान दिलाने का प्रयास किया। रोटोमैक पेन भारतीय उपभोक्ताओं के बीच एक पसंदीदा ब्रांड बन गया, और इसके उत्पादों की मांग देश-विदेश में भी बढ़ने लगी।
कर्ज घोटाला और विवाद
हालांकि, विक्रम कोठारी के नेतृत्व में रोटोमैक को कई उपलब्धियां मिलीं, लेकिन समय के साथ कंपनी पर वित्तीय संकट के बादल मंडराने लगे। 2018 में रोटोमैक कंपनी का नाम उस समय सुर्खियों में आया, जब विक्रम कोठारी पर कई बैंकों से लिया गया कर्ज चुकाने में विफल रहने का आरोप लगा। यह कर्ज घोटाला करीब 3,695 करोड़ रुपये का था, जिसमें कई प्रमुख सरकारी और निजी बैंकों के पैसे फंसे थे।
विक्रम कोठारी पर बैंकों को धोखा देने का आरोप लगा, और इस मामले की जांच सीबीआई द्वारा की गई। यह घोटाला देश में तब चर्चा का विषय बना, जब इससे पहले विजय माल्या और नीरव मोदी जैसे बड़े कारोबारी भी इसी तरह के कर्ज घोटाले में फंसे थे। विक्रम कोठारी को इस मामले में गिरफ्तार किया गया और यह मामला भारतीय वित्तीय जगत में एक बड़ा विवाद बना।
रोटोमैक का प्रभाव और पतन
कर्ज घोटाले के बाद रोटोमैक कंपनी की प्रतिष्ठा पर गहरा असर पड़ा। कंपनी का कारोबार लगभग ठप हो गया, और इसकी वित्तीय स्थिति कमजोर हो गई। एक समय में जो कंपनी भारतीय स्टेशनरी बाजार में शीर्ष पर थी, वह अब संकट में घिर गई। रोटोमैक ब्रांड, जिसने अपने गुणवत्ता वाले उत्पादों के लिए ख्याति अर्जित की थी, अब वित्तीय अनियमितताओं और कानूनी मामलों के कारण चर्चा में थी।
निष्कर्ष
मनसुखभाई कोठारी द्वारा स्थापित रोटोमैक कंपनी ने एक सफल उद्यम के रूप में शुरुआत की थी, लेकिन विक्रम कोठारी के नेतृत्व में यह एक बड़े कर्ज घोटाले में फंस गई। यह घटना दर्शाती है कि कैसे व्यापारिक सफलता के साथ-साथ जिम्मेदार वित्तीय प्रबंधन और नैतिकता का महत्व होता है। रोटोमैक का पतन न केवल एक व्यक्तिगत कंपनी की विफलता का उदाहरण है, बल्कि यह भी दिखाता है कि व्यापारिक दुनिया में कितनी तेजी से परिस्थितियां बदल सकती हैं।