नई दिल्ली,7 सितम्बर। उत्तर प्रदेश में अपराधियों के खिलाफ पुलिस द्वारा चलाए जा रहे अभियान के तहत एक और एनकाउंटर की गूंज सुनाई दे रही है। मंगेश यादव, जो लंबे समय से एक कुख्यात अपराधी के रूप में जाना जाता था, का हाल ही में एनकाउंटर कर दिया गया। हालांकि, इस घटना के बाद राजनीतिक माहौल में तेजी से हलचल मच गई है, और राज्य की राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है।
एनकाउंटर की पृष्ठभूमि
मंगेश यादव एक कुख्यात अपराधी था, जिस पर हत्या, डकैती और अन्य संगीन अपराधों के कई मामले दर्ज थे। यूपी पुलिस और राज्य की स्पेशल टास्क फोर्स (STF) लंबे समय से उसकी तलाश कर रही थी। पुलिस के मुताबिक, उसे पकड़ने के लिए कई बार कोशिशें की गईं, लेकिन वह हर बार बच निकलता था। आखिरकार, सुल्तानपुर में एक मुठभेड़ के दौरान मंगेश यादव को पुलिस ने ढेर कर दिया।
डीके शाही और STF की भूमिका
इस एनकाउंटर को अंजाम देने में उत्तर प्रदेश पुलिस के डिप्टी एसपी और STF के सीओ डीके शाही का प्रमुख योगदान रहा। डीके शाही, जो अपनी तेज-तर्रार कार्यशैली के लिए जाने जाते हैं, ने इस ऑपरेशन को लीड किया। STF और पुलिस की संयुक्त टीम ने मंगेश यादव की लोकेशन ट्रैक की और फिर एनकाउंटर को अंजाम दिया।
राजनीतिक विवाद और आरोप-प्रत्यारोप
मंगेश यादव के एनकाउंटर के बाद, उत्तर प्रदेश की राजनीति में विपक्षी दलों ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। कई विपक्षी नेताओं ने इस एनकाउंटर को लेकर सवाल उठाए हैं और इसे “फर्जी एनकाउंटर” करार दिया है। उनका कहना है कि सरकार अपराधियों के खिलाफ एनकाउंटर की आड़ में मानवाधिकारों का उल्लंघन कर रही है।
समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस के नेताओं ने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं और न्यायिक जांच की मांग की है। उनका आरोप है कि एनकाउंटर के नाम पर निर्दोष लोगों को मारा जा रहा है और कानून व्यवस्था के नाम पर सरकार तानाशाही रवैया अपना रही है।
वहीं, बीजेपी सरकार ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बयान दिया कि सरकार अपराधियों के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रही है और मंगेश यादव जैसे अपराधियों को बख्शा नहीं जाएगा। योगी सरकार का कहना है कि प्रदेश में अपराध का खात्मा करने के लिए एनकाउंटर एक जरूरी कदम है और इसे कानून के दायरे में रहकर अंजाम दिया जा रहा है।
न्यायिक जांच की मांग
मंगेश यादव के परिवार ने भी इस एनकाउंटर को “फर्जी” करार दिया है और न्यायिक जांच की मांग की है। उनका कहना है कि मंगेश को जानबूझकर एक साजिश के तहत मारा गया। विपक्षी दलों ने भी इस मांग का समर्थन किया है और उच्च न्यायालय या स्वतंत्र एजेंसी से जांच की मांग की है।
निष्कर्ष
उत्तर प्रदेश में मंगेश यादव एनकाउंटर ने एक बार फिर से राज्य की राजनीति को गरमा दिया है। जहां एक ओर सरकार इसे कानून व्यवस्था के सुधार के रूप में देख रही है, वहीं विपक्ष इसे मानवाधिकारों के उल्लंघन के रूप में चित्रित कर रहा है। आने वाले दिनों में इस मामले में क्या नए मोड़ आते हैं, यह देखना दिलचस्प होगा, क्योंकि एनकाउंटर की सच्चाई पर सवाल उठते रहेंगे और जांच की मांग भी बढ़ती रहेगी।