नई दिल्ली,6 सितम्बर। अब्दुल लतीफ एडम मोमिन, जिसे एक कथित आईएसआई एजेंट के रूप में जाना जाता है, भारतीय इतिहास में सबसे कुख्यात अपहरण घटनाओं में से एक, आईसी-814 विमान अपहरण के पीछे एक महत्वपूर्ण किरदार था। 1999 में हुए इस अपहरण ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा, जब इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट आईसी-814 को अपहरण कर अफगानिस्तान के कंधार ले जाया गया। इस घटना के पीछे की साजिश और लॉजिस्टिक्स के प्रबंधन का जिम्मा अब्दुल लतीफ एडम मोमिन पर था, जिसे पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का एजेंट माना जाता है।
आईसी-814 अपहरण का घटनाक्रम
24 दिसंबर 1999 को काठमांडू से नई दिल्ली जा रही इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट आईसी-814 को पांच हथियारबंद आतंकवादियों ने अपहरण कर लिया। विमान को विभिन्न देशों के हवाई अड्डों पर ले जाया गया, और अंततः अफगानिस्तान के कंधार में उतारा गया, जो उस समय तालिबान के नियंत्रण में था। इस अपहरण की साजिश और योजना पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई द्वारा बनाई गई थी, और इसका मुख्य उद्देश्य भारत पर दबाव डालकर जैश-ए-मोहम्मद के तीन आतंकवादियों को रिहा कराना था।
इस घटना के दौरान, भारतीय सरकार को अपहरणकर्ताओं की मांगें माननी पड़ीं, जिसके तहत मौलाना मसूद अजहर, अहमद उमर सईद शेख और मुश्ताक अहमद जरगर को रिहा किया गया। इस कुख्यात अपहरण ने भारतीय सुरक्षा तंत्र की कई खामियों को उजागर किया और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत की चुनौतियों को सामने लाया।
अब्दुल लतीफ एडम मोमिन की भूमिका
अब्दुल लतीफ एडम मोमिन, जो कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का कथित एजेंट था, इस अपहरण की लॉजिस्टिक योजना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उसकी भूमिका को लेकर यह माना जाता है कि उसने अपहरणकर्ताओं को आवश्यक संसाधनों और जानकारी मुहैया कराई थी, जिससे अपहरण की योजना को अंजाम देना संभव हुआ।
मुंबई में रहकर, अब्दुल लतीफ ने अपहरण से संबंधित सभी तैयारियों की निगरानी की थी। उसने अपहरणकर्ताओं को आवश्यक नक्शे, उपकरण और जानकारी उपलब्ध कराई थी, जो उन्हें भारतीय वायुसीमा में प्रवेश करने और सफलतापूर्वक विमान को कंधार तक पहुंचाने में मददगार साबित हुए। इस अपहरण में उसकी भागीदारी को लेकर भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने कई सूचनाएं इकट्ठा की, जो यह दर्शाती हैं कि आईएसआई इस साजिश के पीछे मुख्य रूप से जिम्मेदार थी और अब्दुल लतीफ इसके एक प्रमुख सदस्य के रूप में काम कर रहा था।
आईएसआई की साजिश और उसके नतीजे
आईएसआई की यह साजिश भारत को कमजोर करने और आतंकवादियों की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए रची गई थी। यह अपहरण न केवल भारत की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन और उनकी खुफिया एजेंसी कैसे संगठित अपराध को अंजाम देने के लिए काम करती हैं।
आईसी-814 अपहरण के नतीजे भारत के लिए गंभीर थे। यह घटना भारतीय कूटनीति और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक बड़ी चुनौती बनी रही। अपहरणकर्ताओं की मांगों को मानने के बाद आतंकवादियों की रिहाई ने आतंकवादी समूहों को और प्रोत्साहित किया, जिससे भारत में कई बड़े आतंकी हमले हुए। मौलाना मसूद अजहर, जो इस अपहरण के दौरान रिहा किया गया था, बाद में जैश-ए-मोहम्मद का प्रमुख बना और 2001 में भारतीय संसद पर हमले की साजिश रचने में शामिल था।
अब्दुल लतीफ की गिरफ्तारी और नतीजे
अब्दुल लतीफ एडम मोमिन को बाद में भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने गिरफ्तार कर लिया था। हालांकि उसकी गिरफ्तारी से आईसी-814 अपहरण की साजिश के बारे में कई अहम जानकारियाँ मिलीं, लेकिन यह स्पष्ट हो गया कि इस साजिश में केवल कुछ ही लोग नहीं, बल्कि एक पूरी अंतरराष्ट्रीय साजिश शामिल थी। आईएसआई और पाकिस्तानी आतंकवादी संगठनों के साथ उसके संबंधों ने यह भी दर्शाया कि भारत के खिलाफ चल रही आतंकवादी गतिविधियों में इन संगठनों की कितनी गहरी भागीदारी है।
निष्कर्ष
अब्दुल लतीफ एडम मोमिन का आईसी-814 अपहरण में कथित तौर पर शामिल होना इस बात को दर्शाता है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और आतंकवादी संगठनों ने किस हद तक भारत के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों को संगठित किया है। इस घटना ने भारतीय सुरक्षा और खुफिया तंत्र को झकझोर कर रख दिया और देश के लिए एक महत्वपूर्ण सबक साबित हुई। अब्दुल लतीफ की भूमिका ने आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई को और भी जटिल बना दिया, लेकिन इसके साथ ही यह भी साबित किया कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में किसी भी साजिश को बेनकाब करना कितना आवश्यक है।