असम विधानसभा में जुम्मा ब्रेक समाप्त करने पर एनडीए में फूट, जेडीयू नेता नीरज कुमार ने फैसले का किया विरोध

Date:

असम, 31 अगस्तअसम सरकार द्वारा राज्य विधानसभा में जुम्मा की नमाज के लिए 2 घंटे के ब्रेक की प्रथा को समाप्त करने का फैसला एनडीए गठबंधन में ही विभाजन का कारण बनता दिख रहा है। जेडीयू के नेता और बिहार विधान परिषद के सदस्य नीरज कुमार ने इस फैसले का खुलकर विरोध किया है, जिससे गठबंधन के भीतर असहमति के स्वर उभरने लगे हैं।

असम की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार ने हाल ही में विधानसभा सत्र के दौरान शुक्रवार की नमाज (जुम्मा) के लिए दी जाने वाली 2 घंटे की छुट्टी या ब्रेक को खत्म करने का निर्णय लिया। सरकार का तर्क है कि विधानसभा की कार्यवाही सुचारू रूप से चल सके और किसी भी विशेष धार्मिक गतिविधि के लिए अतिरिक्त ब्रेक की जरूरत नहीं होनी चाहिए।

सरकार के इस फैसले के पीछे यह भी तर्क दिया जा रहा है कि विधानसभा सत्र के दौरान धार्मिक गतिविधियों के लिए विशेष ब्रेक देना एक पुरानी परंपरा थी, जिसे अब हटाने का समय आ गया है ताकि सभी धर्मों को समान दृष्टिकोण से देखा जाए और धर्मनिरपेक्षता को बढ़ावा मिले।

जेडीयू के वरिष्ठ नेता नीरज कुमार ने इस फैसले की कड़ी निंदा की है और इसे अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकारों के खिलाफ बताया है। उन्होंने कहा कि जुम्मा की नमाज मुस्लिम समुदाय के लिए धार्मिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है और इसके लिए निर्धारित ब्रेक एक लंबे समय से चली आ रही परंपरा है, जिसे अचानक खत्म करना अनुचित है।

नीरज कुमार ने आगे कहा कि यह फैसला अल्पसंख्यक समुदाय के धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन है और इस तरह के निर्णय से समाज में विभाजन और धार्मिक असहिष्णुता को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने एनडीए गठबंधन के भीतर भी इस मुद्दे पर असहमति की ओर इशारा करते हुए कहा कि भाजपा का यह कदम गठबंधन की धर्मनिरपेक्ष नीति के खिलाफ है।

जेडीयू नेता के इस बयान से एनडीए के भीतर खींचतान और असहमति की स्थिति पैदा हो गई है। जेडीयू, जो बिहार में भाजपा के साथ गठबंधन का हिस्सा है, ने असम सरकार के इस कदम को अनुचित बताते हुए इसका विरोध किया है। नीरज कुमार ने इस फैसले को लेकर भाजपा से भी जवाब मांगा है और कहा है कि एनडीए को इस मामले पर स्पष्ट रुख अपनाना चाहिए।

असम सरकार के इस फैसले पर विपक्षी दलों ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस और एआईयूडीएफ (ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट) ने इसे अल्पसंख्यक विरोधी कदम करार दिया है। उन्होंने कहा है कि यह फैसला असम की धर्मनिरपेक्ष छवि पर धब्बा है और इसे जल्द से जल्द वापस लिया जाना चाहिए। विपक्ष का आरोप है कि भाजपा सरकार धार्मिक ध्रुवीकरण की राजनीति कर रही है और अल्पसंख्यकों के धार्मिक अधिकारों का सम्मान नहीं कर रही है।

भाजपा ने अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा है कि यह निर्णय किसी विशेष धर्म के खिलाफ नहीं है, बल्कि यह विधानसभा की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाने के लिए लिया गया है। पार्टी के प्रवक्ता ने कहा कि विधानसभा एक लोकतांत्रिक संस्था है, जहां सभी विधायकों को समान अधिकार और समय मिलना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी धार्मिक गतिविधि के लिए विशेष ब्रेक देने से विधानसभा की कार्यवाही प्रभावित होती है और यह किसी भी धर्मनिरपेक्ष संस्थान के लिए उचित नहीं है।

एनडीए गठबंधन के भीतर इस फैसले को लेकर मतभेद उभरने के बाद अब देखना होगा कि भाजपा इस मुद्दे पर जेडीयू और अन्य सहयोगी दलों के साथ कैसे समन्वय स्थापित करती है। जेडीयू ने इस मामले पर सख्त रुख अपनाते हुए भाजपा से स्पष्टता की मांग की है, जिससे यह साफ है कि आने वाले समय में यह मुद्दा गठबंधन के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है।

वहीं, विपक्षी दल इस मुद्दे को लेकर सरकार पर दबाव बनाने की तैयारी में हैं, और आने वाले दिनों में विधानसभा सत्र के दौरान इस पर व्यापक चर्चा की संभावना है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Share post:

Subscribe

Popular

More like this
Related

राष्ट्रपति मर्मू ने ओडिशा, मिजोरम, केरल, बिहार और मणिपुर के लिए नए गवर्नरों की नियुक्ति की

नई दिल्ली,25 दिसंबर। राष्ट्रपति द्रौपदी मर्मू ने मंगलवार को ओडिशा...

सावधान भारत! IMF से मदद मांगने वाला बांग्लादेश इन क्षेत्रों में भारत को पीछे छोड़ सकता है

नई दिल्ली,25 दिसंबर। हाल के वर्षों में बांग्लादेश को अंतरराष्ट्रीय...

पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में एयरस्ट्राइक की, 46 की मौत

पाकिस्तान ,25 दिसंबर। पाकिस्तान ने मंगलवार देर रात अफगानिस्तान...